घटता वजन लिवर कैंसर का संकेत तो नहीं?

गलत खानपान और दिनचर्या से आजकल लिवर से जुड़े रोग आम हो गए हैं। इनमें से एक लिवर कैंसर भी है। इस समस्या में कैंसर की कोशिकाएं धीरे-धीरे शरीर के दूसरे अंगों तक फैलने लगती हैं।
रोग की वजह
लंबे समय तक शराब पीने और हेपेटाइटिस-बी व सी के संक्रमण से लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं जिससे यह अंग कठोर हो जाता है। इसमें फाइब्रोसिस बनने लगते हैं जो कैंसर की वजह बनते हैं। इसके अलावा जंकफूड व हाई कैलोरी फूड से होने वाली ‘नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज’ से भी कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
कौन होते हैं प्रभावित
मोटापा, शराब का अत्यधिक सेवन, हेपेटाइटिस-बी व सी से पीडि़त व्यक्ति लिवर कैंसर के ज्यादा शिकार होते हैं।
प्रमुख लक्षण
इस अंग से जुड़े कैंसर में रोगी को कमजोरी, थकान, उल्टी, पेटदर्द, शरीर पर  सूजन, पीलिया, त्वचा पर खुजली, लगातार वजन कम होना, भूख न लगना, कुछ खाते ही पेट भरा हुआ महसूस होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
इलाज के तरीके
लिवर कैंसर या इस अंग से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का इलाज निर्भर करता है कि मरीज किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करता है।
सर्जरी: लिवर में कैंसर ट्यूमर बनने लगते हैं जिसके लिए ऑपरेशन कर गांठों को निकालते हैं।
लिवर ट्रांसप्लांट: लिवर कोशिकाएं यदि नष्ट हो चुकी हों तो इस अंग को किसी स्वस्थ व्यक्ति  से ट्रांसप्लांट कर नया लिवर लगाया जाता है।
माइक्रोवेव या फ्रिक्वेंसी एबलेशन: सूक्ष्म तरंगों और किरणों के माध्यम से लिवर में मौजूद कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
टारगेटेड कीमोथैरेपी: कई बार लिवर में कैंसर की कोशिकाएं इस अंग से जुड़े गॉल ब्लैडर और पाचन रस में मिल जाती हैं। इन कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए दवाओं का सहारा लेते हंै जिसे कीमोथैरेपी कहते हैं।
महत्वपूर्ण जांचें
किसी भी प्रकार का लक्षण दिखाई देने पर सबसे पहले फिजिशयन को दिखाना चाहिए। डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार जांचें करवाकर इलाज करते हैं। लिवर फंक्शन टेस्ट, एब्डोमिनल सोनोग्राफी व अल्ट्रासाउंड, ब्लड शुगर और कई मामलों में लिवर बायोप्सी कर इलाज किया जाता है।
ऐसे बचें
खानपान और दिनचर्या पर ध्यान देने से इस बीमारी से बचाव संभव है। शराब, तला-भुना, मसालेदार व बाजार के दूषित भोजन से परहेज करें। साथ ही हेपेटाइटिस-बी और सी के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर आवश्यक टीके लगवाए जाने चाहिए।