इन तरीकों से करें अस्थमा का उपचार, जरुर मिलेगा लाभ

आयुर्वेद चिकित्सा में अस्थमा का इलाज प्रमुख लक्षणों को आधार मानकर किया जाता है। यदि मरीज को अत्यधिक कफ बने या फेफड़ों में सूजन हो तो मुलैठी के पाउडर को 500 मिलिग्राम से लेकर एक ग्राम की मात्रा में थोड़े शहद या वसावलेह (अड़ूसा व अन्य हर्बल औषधियों से तैयार चटनी) के साथ मिलाकर चटनी के रूप में रोगी को चाटने के लिए देते हैं।
दो ग्राम की मात्रा में अड़ूसा, कटेरी व कायफल तीनों को लेकर मोटा पाउडर पीस लें। इसे दो कप पानी में उबालें। बाद में गुनगुना होने पर शहद मिलाकर दिन में किसी भी समय पी सकते हैं। आयुर्वेदिक दुकानों पर उपलब्ध जड़ी-बूटियों से तैयार गुर्जव्याधि काढ़े को 10-20 ग्राम की मात्रा में लेकर तीन कप पानी में उबाल लें। एक कप शेष रहने पर इसे छानकर दिन में किसी भी समय पी लें, कफ की समस्या में आराम मिलेगा।
एक चम्मच अदरक के रस में दो चम्मच शहद व 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से कफ दूर होता है। अडूसा, कटेरी, तुलसी, काकड़ा श्रृंगी, हल्दी, कायफल, तालीस-पत्र, जूसा, तेजपत्ता, पीपल, पुष्करमूल, बहेड़ा, भारंगी, मुलैठी, सोमलता आदि जड़ी-बूटियों को 2-3 ग्राम की मात्रा में अलग-अलग लेकर चूर्ण बना लें और इनमें से किसी एक को शहद के साथ रोज लेने से खांसी और जुकाम की समस्या में लाभ होगा।
पंचकर्म से लाभ : नमक और तिल के तेल को मिलाकर छाती की कुछ देर मालिश करें। इसके बाद स्वेदन (भाप से पसीना लाना) करें या बालूमिट्टी से पोटली बनाकर छाती पर गर्म सेक करें। कफ पिघलकर निकलता है और सांस लेने में सुविधा होती है। पांच ग्राम मुलैठी, सनाय या हरड़े का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाकर विरेचन कराया जाता है, इससे रोगी को उल्टी होने से कफ बाहर आता है। देवदाली या कायफल पाउडर को सूंघने से लाभ होता है। दवाओं का प्रयोग और शुद्धीक्रिया को डॉक्टरी सलाह और देखरेख में करेंं।
ध्यान रहे
मरीज को दिन के समय नहीं सोना चाहिए इससे कफ की वृद्धि होने लगती है। भारी व्यायाम, मसालेदार, तला-भुना व खट्टी चीजों से दूर रहें। गर्म पानी, चीकू, सेब, गेहूं का दलिया, जौ की रोटी, गाय का दूध, मुनक्का, मूंग की दाल, हरी सब्जियां आदि खाएं। आयुर्वेद चिकित्सा में अस्थमा का इलाज प्रमुख लक्षणों को आधार मानकर किया जाता है।