गीता में कृष्ण और अर्जुन से जुड़ा एक श्लोक है- “युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नाव बोधस्य योगो भवति दु:ख”।। कालांतर में इसमें से “युक्ताहारविहारस्य” पद्धति को आयुर्वेद में अपनाया गया। यानी युक्त आहार और विहार से शरीर के सभी प्रकार के रोग दूर हो सकते हैं फिर चाहे वे मानसिक हों या शारीरिक। इसके बारे में बता रहे हैं नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा।
युक्त आहार
यह संतुलित भोजन से जुड़ा है। ऎसी बैलेंस डाइट जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, मिनरल्स, विटामिन और पानी जैसे छह तत्व होते हैं। हालांकि खानपान में इन पोषक तत्वों को शामिल करना या नहीं करना व मात्रा व्यक्ति विशेष के किसी रोग से पीडित होने पर निर्भर करती है। यदि किसी को डायबिटीज है तो उसे कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें चीनी, आलू आदि खाने से मना किया जाता है और अगर यूरिक एसिड ज्यादा है तो प्रोटीन डाइट जैसे पनीर, दूध आदि से परहेज करना होता है।
युक्त विहार
इसका तात्पर्य संतुलित व्यायाम से है। इसके अनुसार व्यक्ति को सुबह खाली पेट 40 मिनट और रात के भोजन के बाद 20 मिनट टहलना चाहिए। साथ ही विशेषज्ञ की सलाहानुसार योगासन और प्राणायाम करना चाहिए।
बेमेल आहार से बचें
1. दूध के साथ खट्टे पदार्थ जैसे नींबू पानी, दही, इमली आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे त्वचा संबंधी एलर्जी जैसे सोरायसिस, वर्टिलिगो या एग्जिमा हो सकती है।
2. गरिष्ठ चीजों को कभी एकसाथ न खाएं जैसे पनीर की सब्जी व राजमा। इससे पाचनतंत्र गड़बड़ा जाता है।
3. फल खाने के बाद पानी पीने से पाचन प्रक्रिया धीमी होकर अपच हो सकती है।
4. खीर और रायता एकसाथ न खाएं। इससे अपच और त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं।
5. भोजन के बाद ठंडा पानी पीने से बचें। यह शरीर में जाकर पाचन प्रक्रिया को भी धीमा करता है।
सामान्य युक्त आहार
मोटे आटे की रोटी, उबली हुई सब्जियां (जिसमें नमक, मिर्च-मसाले बेहद कम मात्रा में हो), अंकुरित अनाज, सलाद, छाछ या दही। लेकिन इस आहार के साथ चिकनाई, खटाई मैदे से बनी चीजें, ठंडी चीजें, अधिक मात्रा में मसालों के प्रयोग से परहेज करें।
पानी
प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना कम से कम सवा तीन लीटर (8-10 गिलास) पानी जरूर पीना चाहिए।
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