आयुर्वेद में गाय के घी को अमृत माना गया है। दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन व नजले की तकलीफ में आराम मिलता है।
सिरदर्द होने पर गाय के घी की मालिश पैरों के तलवों पर करें। हाथ-पैर में जलन व अनिद्रा की समस्या हो तो भी घी की तलवों पर मालिश करें। फफोलों पर देसी घी लगाने से आराम मिलता है। नाक में घी डालने से खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा रहता है।
इस घी की छाती पर मालिश करने से बच्चों को जुकाम में लाभ होता है और कफ बाहर निकलता है। अगर ज्यादा कमजोरी लगे तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री मिलाकर पिएं। गाय के घी का नियमित प्रयोग करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
इस घी के प्रयोग से मांसपेशियां व हड्डियां मजबूत होती हैं। गाय के घी में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता जिससे मोटापा बढऩे की समस्या नहीं रहती।
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