हम लोगो में से बहुत से लोगों को अपना घर छोड़ कर स्कूल, कॉलेज या फिर नौकरी करने के लिए किसी दूसरी जगह या किसी दूसरे शहर को जाना ही पड़ता है। बड़े होने के साथ ही हमें अपना कम्फर्ट जोन छोड़ कर इस बड़ों की दुनिया में जाना ही पड़ता है। यह बात बिल्कुल सही है कि जब तक हम अपनी फैमिली के साथ रहते है
तब तक एक दूसरे की एहमियत नही समझते लेकिन अलग होते ही हमे अपने परिवार क साथ अपने संबंधो की गहरायी का पता चलता है। ऐसा माना जाता है कि जब रिश्तों में दूरी आती है तभी प्रगाढ़ता भी आती है। ऐसे बहुत से कारण हैं जब हम परिवार से दूर रहकर सफलता हासिल करते हैं और उनके और भी करीब आते हैं।
हर पल में होती है घर की यादें
दूर जाने के बाद पता चलता है की परिवार के साथ नाश्ता करना भी कितना आनंददायक होता था और सिर्फ इतना ही नही घर के खाने की यद् भी घर परिवार से दूर जाने क बाद ही आती है जब आपकी मम्मी आपके लिए टिफ़िन में आचार परांठा देती थी भले ही उस समय वो इतना अच्छा न लगता रहा हो पर इस समय उसके लिए आप पागल हो जाते है। हर सुबह जब आपकी मम्मी आपके कमरे का दरवाज़ा खटखटाती और आपसे कुछ कम करने को कहती तो आप ऐसा दिखाते जैसे आप बहुत नींद में हो और सुना ही नही कि उन्होंने क्या कहा और उसके बाद दिन भर वो आप पे झुंझलाती।
लेकिन आज आप इस बात की कमी महसूस करते है कि कोई आपका दरवाज़ा खटखटाये या आपसे ज़िद करे और आप बिलकुल भी ये नही दर्शाएंगे की आप सोने की कोशिश कर रहे हैं। वो आराम और सुरक्षा जो आपको अपने घर में मिलती है उसकी कमी आपको हमेशा घर से दूर जाने पैर पता चलती है। और जब भी हम घर जाते है तो हम अपने परिवार के सभी लोगो से बेहद नम्रता से बात करते है क्योकि हम उन्हें अपने काफी नज़दीक महसूस करते है।
खुद को और करीब से जानते हैं
आप खुद को और बेहतर तरीके से जान पाते है जब आप अपनी फॅमिली को बेहतर तरीके से जानते है। यथार्थ को जानने की समझ समझदारी से आती है और गंभीरता जीवन के अनुभवो से। जैसे-जैसे हम और बड़े होते है हमे खुद को बाहरी दुनिया को खुद क बारे में बताना होता है और यह अवसर हमे घर से बाहर जाने पर ही मिलता है। ये बहुत आवश्यक है की हमे अपना घर अपना कम्फर्ट जोन छोड़ना पड़ता है। हमे खुद को ये बतलाना पड़ता है की हमे दुनिया को अपने नाज़रिए से देखना है और हर उस बात को महसूस करना है जो हमने आज तक महसूस नही किया। जैसे कि ये समझना की हमे घर की ज़रूरत कितनी है। अपने माता पिता को समझने के लिए सबसे पहले हमे खुद को समझना होता है जब हम खुद को समझ लेते है तब हमे पता चलता है की हमारे माता पिता सिर्फ हमारे माता पिता ही नही बल्कि एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है और हम उनके प्रति ज्यादा संवेन्दनशील हो जाते है और ये सब हमे जीवन के अनुभवो से पता चलता है।
सुख और दुख एक साथ
एक ही समय पर खुश होना और दुखी होना ये एहसास बहुत ही अजीब होता है। अपने घर परिवार से दूर रहकर ही हम उनके प्रति अपने अनूठे प्यार को जान पाते हैं। आपके साथ कई बाते ऐसी होती है जब आप अपने घर की छोटी छोटी बातो को याद करते है खासकर अपनी माँ का खाना बनाते हुए कोई गीत गुनगुनाना या फिर कैंटीन की चाय की महक जो आपके पापा की बनायी हुई चाय के जैसे होती थी। अपने किसी दोस्त से बातचीत के दौरान अचानक ये महसूस करना कि आपके माता पिता को भी घूमना कितना अच्छा लगता था पर उन्होंने कई बार अपने इस शौक को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जिससे की वो आपके साथ रह सके। इसके अलावा भी ऐसी कई बातें है जो हमे तब महसूस होती हैं। जब हम अपने पेरेंट्स से दूर हो जाते हैं।
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25 responses to “क्या आप भी परिवार से दूर रहने पर महसूस कर रहे हैं अकेलापन?”