दोस्तों के साथ आप लोग भी पार्टी करते होंगे और ऐसी पार्टी ड्रिंक के बिना अधूरी होती है। जब सारे दोस्त ड्रिंक कर के मस्त हो जाते हैं तो उनका हावभाव और बातचीत करने का तरीका बिल्कुल बदल जाता है। ऐसा आपने भी जरूर नोटिस किया होगा। ज्यादातर दोस्त अंग्रेजी या फिर किसी भी फॉरेन लैंग्वेज को फर्राटेदार बोलने लगते हैं। नशे में तो हर कोई हवा में होता है।
खैर, ये तो हुई पार्टी में होने वाली ड्रिंक की बात। लेकिन आज हम आपको कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपको थोड़ी हैरानी और आश्चर्य भी होगा।
सायकोफ़र्माकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शराब का सेवन करने से किसी नई भाषा के बेहतर तरीके से बोलने की संभावना बढ़ जाती है। इस शोध के लेखकों ने 50 जर्मन लोगों को वॉलंटियर्स के तौर पर इस्तेमाल किया। ये सभी हॉलैंड में एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं। यहां क्लास डच भाषा में ही होती है। रिसर्च में भाग लेने वाले लोगों का कहना था कि उन्होंने किसी न किसी अवसर पर शराब ज़रूर पी है। इन सभी लोगों ने हाल ही में डच टेस्ट भी पास किया है।
इस स्टडी के अनुसार, हर वॉलन्टियर को इंटरव्यू कर रहे एक शख़्स के साथ 2 मिनट तक डच भाषा में बातचीत करनी होती है। इनमें से आधे लोगों को इंटरव्यू से पहले शराब दी गई थी और बाकी बचे लोगों को पानी दिया गया था। लोगों के शारीरिक संरचना के हिसाब से उन्हें शराब की मात्रा उपलब्ध कराई गई थी, मसलन 150 पाउंड के शख़्स को एक पाइंट बीयर पिलाई गई थी।
इसके बाद इस बातचीत को डच भाषा में पारंगत दो लोगों द्वारा विश्लेषण किया गया। खास बात ये थी कि इन्हें ये नहीं मालूम था कि किसने इंटरव्यू से पहले पानी पिया था और किसने शराब। इसके बाद इन वॉलटिंयर्स ने खुद ही अपनी परफ़ॉर्मेंस को रेट करने के लिए कहा गया। जिन लोगों ने शराब पी थी, उन्हें अपनी परफ़ॉर्मेंस में खास फ़र्क नहीं दिखा हालांकि डच भाषा में पारंगत लोगों का मानना था कि जिन लोगों ने शराब पी, वे लोग उच्चारण और धारा प्रवाह बोलने के मामले में बाकी लोगों से बेहतर थे। इन लोगों के मुताबिक, जिन लोगों ने शराब का सेवन किया था, उन्होंने पानी पीने वाले लोगों की तुलना में बेहतर तरीके से उत्तर दिए।
हालांकि कुछ असमंजस भी है। वैज्ञानिकों का कहना था कि काफी ज़्यादा मात्रा में शराब पीने से इसका उल्टा असर हो सकता है और लड़खड़ाती ज़बान से धाराप्रवाह बोलने की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं की जा सकती। इसके अलावा ये भी साफ़ नहीं था कि इस स्टडी में भाग लेने वाले लोगों का इमोश्नल और स्ट्रेस लेवल किस स्तर का था क्योंकि ये कारण काफी हद तक किसी भी इंसान की परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं।
रिसर्च से जुड़े लोगों का ये भी मानना था कि इस प्रयोग को दूसरी भाषाओं में भी देखना चाहिए ताकि इससे जुड़े असर को देखा जा सके। इसके बावजूद रिसर्चर्स का मानना है कि थोड़ी सी शराब के सेवन से खास तौर पर धाराप्रवाह भाषा को बोलने में मदद मिलने की संभावना अधिक होती है।
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