अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर लगाम

रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन शरीर की अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत कर सकता है, जो आंतों में ऐंठन, आंत्रशोथ और यहां तक कि आंत के कैंसर का कारण बन सकती है। यह जानकारी एक नए अध्ययन से सामने आई है।

अध्ययन में यह भी पता चला है कि अधिक रेशेयुक्त भोजन लेने से दमा पर लगाम भी लगाया जा सकता है, क्योंकि रेशेदार भोजन अस्थिमज्जा में विकसित होने वाले रोग प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास पर लगाम लगाता है। एक वेबसाइट के अनुसार, जब हम रेशेदार फल या सब्जी का सेवन करते हैं तो हमारी आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद जीवाणु उन रेशों को पचाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में उत्सर्जित वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के संपर्क में आने के बाद ज्वलनशील स्थिति पर नियंत्रण रखती है। ये वसा अम्ल प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ संयुक्त होकर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच जाती है।

इसी आधार पर अध्ययन में कहा गया है कि रेशेदार भोजन शरीर में दमा जैसे रोगों में असरकारक हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देशों में 60 के दशक में जब भोजन में रेशेदार पदार्थो के सेवन में कमी आई तो उसी दौरान दमा का तेजी से प्रसार हुआ। लेकिन कम विकसित देशों में भी अब दमा एक आम बीमारी हो चुकी है। रेशेदार भोजन और अस्थमा के बीच संबंध का परीक्षण करने के लिए स्विट्जरलैंड के लुसाने विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी बेंजामिन मार्सलैंड व उनके साथी शोधकर्ताओं ने चूहों के एक समूह को लगातार कम रेशेदार भोजन दिया। दो सप्ताह बाद शोधकर्ताओं ने चूहों में धूल कणों में पाई जाने वाली एक एलर्जी पैदा करने वाली चीज पाई, जो मनुष्यों में दमा फैलाने में अहम भूमिका अदा करती है।


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