जाड़ा-बुखार और दर्द से राहत के लिए सेवन किया जाने वाला एस्पिरीन कैंसर जैसी बीमारी को मात दे सकता है। इस बात से आपको भले ही आश्चर्य हो, लेकिन एक नए अध्ययन के मुताबिक एस्पिरीन पाचन नली के कैंसर के बढ़ने के जोखिम को कम करने के साथ इससे होने वाली मौतों के खतरे को टालने में कारगर साबित हो सकता है।
दस सालों तक एस्पिरीन का सेवन किया जाए, तो यह आंत से संबंधित कैंसर के खतरे को लगभग 35 फीसदी कम कर सकता है और इससे होने वाली मौतों में 40 फीसदी तक की कमी ला सकता है। जबकि ग्रासनली और पेट के कैंसर की बात करें, तो यह उसमें 30 फीसदी की कमी ला सकता है और इससे होने वाली मौतों में 35-50 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के कैंसर रोकथाम केंद्र के प्रमुख शोधकर्ता जैक कूजिक ने कहा कि हालांकि एस्पिरीन के कुछ साइड इफेक्ट हैं, लेकिन कैंसर की तुलना में उनका कोई महत्व नहीं है। धूम्रपान छोड़कर और मोटापा कम कर हम कैंसर की संभावनाओं को कम कर सकते हैं।
अध्ययन के मुताबिक, यदि 50-65 आयुवर्ग के लोग कम से कम 10 सालों तक रोजाना एस्पिरीन लें, तो पुरुषों में कैंसर, स्ट्रोक और हृदयाघात के मामलों में नौ फीसदी की कमी होगी, जबकि महिलाओं में सात फीसदी। एस्पिरीन का फायदा उठाना है, तो लोगों को कम से कम पांच सालों तक 75-100 मिलीग्राम की खुराक लेनी चाहिए, जबकि अगर आप 50-65 आयुवर्ग के हैं, तो 10 सालों के लिए।
शोधकर्ता हालांकि लंबे समय तक एस्पिरीन के सेवन के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इससे पाचन नली से रक्तस्राव का खतरा है। कई तरह के अध्ययनों की समीक्षा और चिकित्सकीय परीक्षणओं के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। यह अध्ययन कैंसर की प्रमुख पत्रिका ‘एनल्स ऑफ ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।
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