डायबिटीज को संभालना थका देने वाली देखभाल में उलझे रहना ही नहीं है बल्कि आहार, व्यायाम और दवाओं के साथ व्यक्ति की जरूरतों तथा क्षमताओं के हिसाब से यह काम बहुत सहज हो सकता है। यह कहना है प्रसिद्ध क्लीनिसियन वैज्ञानिक मर्लिन थॉमस का। बेकर आईडीआई हार्ट एंड डायबिटीज इंस्टीट्यूट के मर्लिन थॉमस ने अपनी किताब अंडरस्टैंडिंग टाइप 2 डायबिटीज में मधुमेह पीडित लोगों को इस रोग का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने के सूत्र दिये हैं जिनसे इन्हें नियंत्रित करके स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। आधुनिक जीवनशैली के चलते अनेक तरह की समस्याएं होती हैं जिनमें टाइप-2 डायबिटीज प्रमुख है। डायबिटीज आसान चीज नहीं है
लेकिन इसे सरल और सहज तरीके से संभाला जा सकता है और इसका प्रबंधन जटिल नहीं होना चाहिए। थॉमस के मुताबिक शारीरिक गतिविधियों, संतुलित आहार और दवाओं के तालमेल के साथ मधुमेह की सही से देखभाल की जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साल 2030 तक भारत में 10 वयस्कों में से कम से कम एक को टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है और इस तरह मधुमेह पीडितों की कुल संख्या 10 करोड से ज्यादा हो सकती है। पैन मैकमिलन इंडिया द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के अनुसार डायबिटीज से ग्रस्त अधिकतर लोग पूरा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। लेकिन इसके लिए अच्छी समझ और प्रबंधन जरूरी है।
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