हम भारतीय सदा से मधुरप्रिय रहे हैं। मीठा खाओ, मीठा बोलो, गुड़ न दो तो गुड़ की सी बात अवश्य करो, हमारे जीवन सिद्धांत रहे हैं। शायद यही कारण है कि आयुर्वेद के जनकों ने पाक, प्राश, अवलेह, आदि के रूप में हमारे लिए अनेक मधुर और बलवर्धक औषधियां तैयार की हैं। इसलिए हमारे जीवन में गन्ने के महत्व का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। यह तो आपको पता ही है कि गुड़ गन्ना से ही बनता है। गुड़ जाड़े में एक खास ऊर्जा को पैदा करता है जो हमें ठंड से मुकाबला करने की शक्ति देता है और कई रोगों से बचाता है।
सर्दी के मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदर होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। इस मौसम में गुड़ का नियमित सेवन करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के मुताबिक यह जल्दी पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है।
आयुर्वेद में मीठे रस को `रसराज` कहा गया है। गुड़ गठिया से होने वाले दर्द को ठीक करता है, यकृत (लीवर) संबंधी व्याधियों को दूर करता है, एवं थके हुए व्यक्ति को तुरंत ऊर्जा देता है। आयुर्वेद में गुड़ को `औषधीय शर्करा` नाम से संबोधित किया गया है।यह कफ निवारक, अपच एवं कब्ज को दूर करने वाला, शक्तिवर्धक, गुल्म, अर्श व अरुचि का शमन करता है।
रोजाना अदरक के रस में गुड़ मिलाकर खाने से कफ नष्ट होता है। हरड़ के साथ खाने से पित्तनाश होता है। सोंठ के साथ खाने से सम्पूर्ण वातविकार नष्ट होते हैं। गुड़ त्रिदोषनाशक है। खांड मधुर, नेत्रों को लाभ पहुंचाने वाली, वात-पित्तनाशक, स्निग्ध, बलकारक और वमननिवारक है।
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