जिस प्रकार निशाना साधने के लिए धनुष की प्रत्यंचा को खींचा जाता है वैसे ही आयु को लंबा करने के लिए प्राणायाम किया जाता है जो कि प्राणों के आयाम से जुड़ा है।
लाभ : प्राणायाम से फेफड़ों में ऑक्सीजन युक्त वायु का संचार होता है। इससे रक्त में मौजूद ऑक्सीजन ऑक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है। ऐसे में हमारा हृदय शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में प्रवाहित करता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, सूर्यभेदी, चंद्रभेदी, नाड़ी शोधन व भस्त्रिका जैसे प्राणायाम से हृदय में मौजूद ब्लॉकेज खुलते हैं और विषैले पदार्थ शरीर से दूर होते हैं। सूर्योदय के समय प्राणायाम करना बेहतर होता है।
सावधानी बरतें
बच्चों को प्राणायाम की जरूरत नहीं होती क्योंकि उनके फेफड़े अन्य खेलकूद से स्वस्थ रहते हैं। वैसे 12 साल की उम्र के बाद कोई भी इसे खाली पेट कर सकता है। हर्निया, अपेंडिक्स व आंतों में अल्सर होने पर प्राणायाम नहीं करना चाहिए वर्ना परेशानी बढ़ सकती है।