पीएफटी यानी पल्मोनरी फंक्शन टैस्ट फेफड़े और सांस से संबंधी कई बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसे स्पाइरोमेट्री टैस्ट भी कहते हैं।
यह है पीएफटी
स्पाइरोमीटर मशीन की मदद यह टैस्ट किया जाता है। मशीन से जुड़े माउथपीस को मरीज के मुंह में लगाकर सांस तेजी से खींचने और छोडऩे के लिए कहा जाता है। इसका रिकॉर्ड मशीन ग्राफ के रूप में दिखाती है। ग्राफ बताता है कि कितने समय में कितनी सांस ली गई और कितनी छोड़ी गई। इससे बीमारी का पता लगाया जाता है।
इनके लिए जरूरी
अस्थमा, सीओपीडी या ब्रॉन्काइटिस के अलावा सांस लेने में तकलीफ, सीने में भारीपन, दर्द या अक्सर कफ की शिकायत रहने पर पीएफटी कराने की सलाह दी जाती है। कई मामलों में डॉक्टर स्मोकिंग या धूल भरे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का भी पीएफटी कराते हैं। कुछ विशेष प्रकार की सर्जरी व दवाओं का असर जांचने के लिए भी यह टैस्ट होता है।
यह मिलती है जानकारी
टैस्ट की रिपोर्ट अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस इंफेक्शन और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज समेत फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की जानकारी देती है। यह ऐसी जांच है जो अस्थमा व सीओपीडी के बीच का अंतर बताती है क्योंकि अस्थमा और सीओपीडी के लक्षण एक जैसे होते हैं। पीएफटी सांस उखडऩे और फेफड़ों में केमिकल्स के दुष्प्रभाव की भी जानकारी देती है।
इनको है रिस्क
ऐसे मरीज जिनके फेफड़ों में छेद हो या गंभीर हार्ट पेशेंट्स हैं वे यह जांच न कराएं। क्योंकि तेजी से सांस लेने और छोडऩे पर फेफड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ता है।